
सुषमा प्रेम पटेल

श्रीकृष्ण की भक्ति है मेरा आधार,
उनके प्रेम के बिना हर दिन है बेकार।
शुभ दिवस
🙏🏻🌷“सुषमा के स्नेहिल सृजन”…✍️
छंद-मनहरण घनाक्षरी
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* * प्रेम रीत * *
आओ मेरे मनमीत, महके साँसों में प्रीत,
निभाएँगे प्रेम रीत,
अनुराग संग में।
जीवन डगर पर, हाथ लिए हाथ धर,
‘सुषमा’ सानिध्य सुख,
हृदय उमंग में।
प्रेमल स्नेहिल क्षण, उल्लासित कण-कण,
लाल-हरा नीला-पीला,
विविध ही रंग में।
स्वर्णिम संसार सजे, मधुर पायल बजे,
स्नेह सुधा रसधार,
प्रफुल्लित अंग में।
~~~~~
…✍️कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल (रायपुर छ.ग.)
सुप्रभात मधुर वंदन🙏🌷
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सुषमा प्रेम पटेल

🙏🏻🌷सुषमा के स्नेहिल सृजन…✍️
विधा-गीत आधार छंद-प्रदीप
** हरदम **~~~~~
मन मंदिर में प्रेम सजाऊँ,
ऐसा मेरा प्यार हो।
घर आँगन खुशहाली छाए,
खुशियों की बौछार हो।।
स्नेहिल ‘सुषमा’ बनकर प्रीतम,
झरता मधुमय धार हो।
सुख-दुख हरदम साथ निभाऊँ,
नेह बने आधार हो।।~~~~
…✍️कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल(रायपुर छ.ग.)
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सुषमा प्रेम पटेल

🙏🏻🌷सुषमा के स्नेहिल सृजन…✍️
छंद-मनहरण घनाक्षरी
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गलंतिका गंगधार
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शिव शीश डाले जल,
संकटों में मिले हल……
आम्र पत्र गूँथें हार,तोरण लगा के द्वार,
“सुषमा”रंगोली सजे,
दिन सोमवार में।
हरी दूब विल्बपत्र,मौली धागा बांधे सूत्र,
मस्तक चंदन रोली,
पूजन प्रकार में।
शिव शीश डाले जल,संकटों में मिले हल,
गलंतिका गंगधार,
धर्म अनुसार में।
“सुषमा”सजा के थाल,नाचते मिलाते ताल,
जयघोष सदा शिव,
त्रिशूल की धार में।
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..…✍️कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल(रायपुर छ.ग.)
सुप्रभात मधुर वंदन🙏🌷
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सुषमा प्रेम पटेल

”सुषमा के स्नेहिल सृजन”…✍️
छंद-पूर्वाक्षरी अलंकृत मनहरण घनाक्षरी
🙏 पुरुषार्थ 🙏
** धर्म** शास्त्र अनुसार, त्रिवर्ग कर्तव्य पूर्ण,
आधार है सर्वश्रेष्ठ,
ईश्वर आभास का।
** अर्थ* *का संचय वही, करते अज्ञानी जन,
अधिक न श्रेष्ठ कभी,
करना प्रयास का।
** काम** वासना से परे, हृदय आनंद भरे,
‘सुषमा’ उद्देश्य लक्ष्य,
सिद्धांत विश्वास का।
**मोक्ष ** प्राप्ति साधन है, चतुर्विध पुरुषार्थ,
शास्त्र विधि संरचना,
वैकुण्ठ निवास का।
…✍️कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल
रायपुर छ ग

सुषमा प्रेम पटेल

🙏🏻🌷”सुषमा के स्नेहिल सृजन”…✍️
छंद–जयकरी
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मर्यादा
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मर्यादा रघुकुल की शान।
वेदों में होता गुणगान।।
सेवक जिनके हैं हनुमान।
’सुषमा’ करती शुभ-शुभ ध्यान।।
पूरे होंगे सब अरमान।
होती कर्मों से पहचान।।
मत कर दौलत पर अभिमान।
होगा तेरा जय-जय गान।।
—————————————-
…✍️कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल
रायपुर, छ ग
🙏🌷🙏🌷🙏🌷🙏🌷🙏🌷

सुषमा प्रेम पटेल

🙏🏻🌷“सुषमा के स्नेहिल सृजन”…✍️
छंद-रूप घनाक्षरी
हार नहीं मानूँगा
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ओजस्वी प्रखर वक्ता, भारतीय राजनेता,
अटल भारत रत्न,
सपूत थे देशभक्त।
राष्ट्र सेवा मुख्य कर्म, मानव का सच्चा धर्म,
‘सुषमा’ संकल्प दृढ़,
रहते थे अनुरक्त।
सरल हृदय कवि, भारत प्रखर रवि,
हार नहीं मानूँगा मैं,
कहते थे हरवक्त।
शब्दों के थे जादूगर, राष्ट्रहित काम कर,
संकट दिखाए धैर्य, ‘
कविता से अभिव्यक्त।~~~~~~~
…✍️कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल (रायपुर छ.ग.)
🙏🌷🙏🌷🙏🌷🙏🌷🙏🌷🙏

सुषमा प्रेम पटेल

सुषमा”के स्नेहिल सृजन…✍️
🥜🥜🥜🥜🥜🥜🥜🥜🥜🥜
. … मजा कुछ और है
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पौस का महीना आया शीत ने क़हर ढाया,
मखमली रज़ाई का मजा कुछ और है।
गुनगुनी धूप सेंक अदरक वाली चाय,
भुनी हुई फलियों का मजा कुछ और है।
पकौड़े हो गर्मागर्म टमाटर मिर्च संग,
धनिया की चटनी का मजा कुछ और है।
हाथ पाँव ठिठुरन गुलाबी-गुलाबी ठंड,
पिकनिक मनाने का मजा कुछ और है।
————————————————
…✍️कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल (रायपुर छ.ग.)
सुप्रभात मधुर वंदन🙏🌷
🥜🥜🥜🥜🥜🥜🥜🥜🥜🥜

सुषमा प्रेम पटेल

🙏🏻🌷”सुषमा के स्नेहिल सृजन”…✍️
मुक्तक-आधार छंद-विधाता
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बजे शहनाइयां
सजाए स्वप्न जो बचपन, वही अब रंग प्यारी है।
चली ससुराल की गलियाँ, सजी डोली सवारी है।
पराया धन कहा जग ने, मगर ‘सुषमा’ नहीं माने-
जुड़ी हर आस बेटी की, नया संसार न्यारी है।।
पिता के आँख से आँसू, छिपेगा आज अब कैसे।
कठिन यह काम है भगवन, समंदर रोकना जैसे।
बजे शहनाइयाँ घर में, चली बिटिया दुलारी है-
लिपट माँ-बाप के काँधे, बहे जलधार हो वैसे।।
…✍️ कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल
(रायपुर छ.ग.)
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सुषमा प्रेम पटेल
”सुषमा के स्नेहिल सृजन”…✍️
छंद-मनहरण हास्य घनाक्षरी
🤣😀😃😄🤣😃😄😄😆🤣
👵🌸🌟⭐️👵🌸🌟⭐️👵🌸
सफेद बालों की सादगी
कुछ ही तो बाल बचे, चिकने जी प्यारे मेरे,
जाऊँ मैं तो वारी-वारी,
डाई न कराइये।
ये जी सैंया खड़े-खड़े, सामने दर्पण अड़े,
दूर हटो चलो अब,
बाल न रंगाइये।
‘सुषमा’ के पिया प्यारे, सासु माँ के हो दुलारे,
चलो शीघ्र साथ अब,
देर न लगाइये।
पॉकेट में हाथ डाल, कंघी लेते हो निकाल,
बार-बार क्यों जी भला?
आप ही बताइये।
…✍️ कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल(रायपुर छ.ग.)
सुप्रभात मधुर वंदन🙏🌷
🤣😀😃😄🤣😃😄😄😆🤣
👵🌸🌟⭐️👵🌸🌟⭐️👵🌸

सुषमा प्रेम पटेल
🙏🏻🌷”सुषमा के स्नेहिल सृजन”…✍️
विधा – लघुकथा
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साड़ी में सजी भारतीयता
एक दिन, सुषमा ने सोचा, “कौन सा परिधान मुझे सबसे सुंदर बनाता है?” क्यों न सखियों-मित्रों से पूछा जाए? यह विचार आते ही, ‘सुषमा’ ने अपनी आठ अलग-अलग परिधानों में तस्वीरें खींची और फेसबुक पर शेयर करके ‘Choose 1- 12345678?’ लिखकर पोस्ट कर दिया और लोगों से प्रतिक्रिया जानने के लिए उत्सुक हो गई।
“कौन सी तस्वीर को कितना लाइक और कमेंट्स मिलते हैं, यह जानने के लिए ‘सुषमा’ दिनभर, उत्साहित होकर प्रतिक्रियाओं का इंतजार करती रही। बार-बार फेसबुक खोलती, कभी अपने सभी परिधानों में तस्वीर देखती, तो कभी लाइक और कमेंट्स गिनती,किसने किस परिधान में तस्वीर पसंद किया, और एक से एक प्रतिक्रियाएँ पढ़कर दिनभर आनंदित होती रही।”
“प्रतिक्रिया के कुछ अंश:-“~~~~~~
किसी ने न.1
किसी ने न.-२
किसी ने न.-३
“किसी ने कहा: 1 की हँसी, 2 की खुशी, 3 की सोच, 4 का विचार, 5 का लाल, 6 की चाल, 7 है बेमिसाल, 8 है पूरा सवाल। (अब आप ही बताएं, भाभीजी, मेरी पसंद का ख्याल।)
“एक भैया जी ने कहा: -देखो, बहन, साड़ी में भारतीय नारी अच्छी लगती है। अब तुम स्वयं समझो, कौन सा नंबर अच्छा है।”
“A woman is actually a woman in a saree.”
“Sweet! 👌👌🙏 नंबर 3
“जब परिणाम सामने आए, तो 217 लाइक्स और कमेंट्स में से 177 ने साड़ी वाली तस्वीर को पसंद किया था।”
‘सुषमा’ मुस्कुराई और सोचा, “साड़ी केवल वस्त्र नहीं, यह हमारी संस्कृति और पहचान है।” उस दिन से ‘सुषमा’ के लिए साड़ी केवल परिधान नहीं रही, बल्कि संस्कृति,स्मृति,और स्नेह का प्रतीक बन गई।
इस प्रकार, ‘सुषमा’ ने साड़ी के माध्यम से भारतीयता की सुंदरता को महसूस किया।
सार: साड़ी केवल वस्त्र नहीं, यह हमारी संस्कृति और पहचान का प्रतीक है।
विश्व साड़ी दिवस की हार्दिक बधाई🙏💐💐💐
…✍️सुषमा प्रेम पटेल 20221221
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सुषमा प्रेम पटेल

सुषमा के स्नेहिल सृजन…✍️
छंद-मनहरण घनाक्षरी पूर्वाक्षरी अलंकृत
शीत लहर
——————————————
आई है शिशिर ऋतु, शीत की लहर लिए,
तन लगे सूर्य त्रास,
बड़ी सुखदायिनी।
आनंदित उपवन, लहराती डाली-डाली,
मोगरा सेवंती गेंदा,
ऋतु अनुपायिनी।
आनंद विभोर शोर, कलरव चहुँओर,
‘सुषमा’ सुहाने पल,
उषा अंकशायिनी।
आँगन आसन विछा, लिखूँ नित छंद विधा,
सृजन दैवीय काव्य,
जैसी हो कामायनी।
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….✍️कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल(रायपुर छ.ग.)

सुषमा प्रेम पटेल

🙏🏻🌷“सुषमा के स्नेहिल सृजन”…✍️
छंद – अनुप्रास अलंकारित
मनहरण घनाक्षरी
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🌿 हिम कण
हरीतिमा तृण पर हर्षित हैं हिमकण,
हल्की-सी हलचल से
हिल-हिल जाते हैं।
मदमस्त मधुकर मृदुल मंजरी पर,
मधुरस चूस-चूस
आनंद मनाते हैं।
सुगंधित सुवासित ‘सुषमा’-सी सुरभित,
सौंदर्य से सराबोर
सृष्टि में लुभाते हैं।
वंशीधर बाँसुरी बजाते बरसाने तक,
बाँसुरी की धुन सुन
दौड़ सभी आते हैं।
…✍️ कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल (रायपुर छ.ग.)
🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿

सुषमा प्रेम पटेल

🙏🏻🌷“सुषमा के स्नेहिल सृजन”…✍️
छंद-मनहरण घनाक्षरी
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संत गुरु घासीदास बाबा
आध्यात्मिक सिरमौर सतनाम शुभ ठौर,
गिरौधपुरी स्थल में
जन्में घासीदास जी।
सहज सरल तन निर्मल स्वभाव मन,
आत्मबोध उपजे है
’सुषमा’ उजास जी।
सत्य दीप जलाकर अंधकार मिटाकर,
लोकहित कर्म में ही
सतनाम वास जी।
जैतखम्भ प्रतीक है सांस्कृतिक धरोहर,
आते यहाँ अनुयायी
जगह है खास जी।
~~~~~
सबको समान माना सत्य को ही पहचाना,
मानव जीवन धर्म
सुंदर निवास जी।
ईश्वर की अनुभूति गुरु रूप में प्रकृति,
व्याप्त कुरीतियाँ मिटे
करते प्रयास जी।
जात-पात भेद तोड़े शांति स्वर में हैं बोले,
नशा नाश का है जड़
रखो ज्ञान पास जी।
सत्संग पढ़ाया पाठ प्रेम दीप जलाकर,
संदेश समरसता
रखते विश्वास जी।~~~~~~~
…✍️ कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल (रायपुर छ.ग.)
🌷🪔🌷🪔🌷🪔🌷🪔🌷🪔🌷

सुषमा प्रेम पटेल

भगवान कृष्ण और राधा रानी का प्रेम सिर्फ एक रिश्ते की परिभाषा नहीं है, बल्कि यह आत्मा और परमात्मा के मिलन का प्रतीक है। राधा का नाम हमेशा कृष्ण से पहले लिया जाता है, क्योंकि यह दर्शाता है कि प्रेम में कोई पहला और दूसरा नहीं होता।
”सुषमा के स्नेहिल सृजन”…✍️
छंद-कलाधर दण्डक
प्रेम राग
——————————————
ओजवान दिव्य ज्ञान, शुद्ध भावना महान,
ध्येय ध्यान ईश भक्ति,
राम-राम नाम है।
काम-क्रोध लोभ-छोड़, वासना समस्त तोड़,
सावधान-सावधान,
घोर पाप काम है।
ऊँच-नीच भेद-भाव, देख मंत्र का प्रभाव,
राम-राम ‘प्रेम’ राग,
हर्ष को प्रणाम है।
पंच तत्व में विलीन, प्राण-प्राण भूमि लीन,
साम-दाम दण्ड-भेद,
टूटता धड़ाम है।
————————————————
…..✍️कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल रायपुर छ ग

सुषमा प्रेम पटेल

🌷”सुषमा के स्नेहिल सृजन”…✍️
छंद -रूपघनाक्षरी
🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾
- 🙏 मां अन्नपूर्णा 🙏*
————————————————
अनाज भण्डार भरो, देवी माता अन्नपूर्णा,
जयंती अन्नदा देवी,
माता लक्ष्मी का हो वास।
मार्गशीर्ष पूनम में, शिव-शिवा पूजन से,
खुश होती अन्नपूर्णा,
पूर्णिमा है तिथि खास।
धरा गेहूँ बीज बोये, उन्नत फसल होवे,
भूमिपुत्र श्रमवीर,,
लगाये बैठे हैं आस।
‘सुषमा’ सुहाने खेत, अरहर फलियों से,
झुकी-झुकी डालियाँ हैं,
मौसम है शीत मास।
————————————————
…✍️ कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल
*रायपुर छ.ग.
🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾

सुषमा प्रेम पटेल

🌷”सुषमा के स्नेहिल सृजन
छंद – मनहरण घनाक्षरी
फुलवारी
अद्भुत है छवि न्यारी, जाएँ सभी बलिहारी,
मुस्कान बिखेरे छटा,
प्रभा रूप धारी के।
जूड़े में गुलाब देख, मधुकर मंडराते,
सुरभि महक सम,
फूल फुलवारी के।
राधिका चरण चूम, उपवन झूम-झूम,
वाटिका सुंदर दृश्य,
शिशु किलकारी के।
संध्या संग घुले-मिले, नभ के कुसुम खिले,
किरणें निखारें रूप,
’सुषमा’ दुलारी के।
~~~
✍️ कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल(रायपुर छ.ग.)


🙏🏻🌷”सुषमा के स्नेहिल सृजन”…✍️
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अलाव🦋
घर के वृद्धों का सभी, सेहत रखिए ध्यान।
सेवा भाव हृदय रहे, संस्कारित संतान।।
इस मौसम ऋतु ठंड में, शीत लहर के संग।
लगती प्यारी आग है, बोल रहे हर अंग।।
खान-पान में संतुलन, रखना तुम सब ध्यान।
स्वस्थ रहे तन-मन सदा, रहे सुखी इंसान।।
’सुषमा सुंदर आँगना, जलता रहे अलाव।
गरम वस्त्र का दान कर, रखिए उत्तम भाव।।
~
…✍️ कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल
रायपुर छ.ग.
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सुषमा प्रेम पटेल

🌷”सुषमा के स्नेहिल सृजन”
……………………………………
सत्य सनातन
मन का रावण मारिए, तब सुंदर संसार।
सदा सत्य की जीत हो, और झूठ की हार।।
कलयुग में है छा गए, रावण की भरमार।
भेष बदल कर हैं फिरे, मन में भरे विकार।।
मानव दानव बन यहाँ, लूट रहे क्यों लाज।
मन से पाप मिटाइए, शपथ ग्रहण लो आज।।
राम चंद्र के सामने, हार गया लंकेश।
सत्य सनातन जीत का, ‘सुषमा’ हो सन्देश।।
~~~
✍️ कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल(रायपुर छ.ग.)

सुषमा प्रेम पटेल

🌷”सुषमा के स्नेहिल सृजन”…
बाल साहित्य
बचपन के रंग
कागज की मैं नाव बनाऊँ।
उसको पानी में तैराऊँ।।
आना मौसी बैठ नाव में।
साथ चलूँ मैं आज गाँव में।।
कभी पहाड़ी चढ़ना सीखूँ।
कभी कहानी गढ़ना सीखूँ।।
रंगों से मैं चित्र सजाऊँ।
फूलों की बगिया महकाऊँ।।
खेतों का भी सैर करूँगा।
अपना झोला खूब भरूँगा।।
हरा मटर का स्वाद निराला।
मीठा-मीठा दाना वाला।।
हरा चना सबको है भाता।
’सुषमा’ थाली खूब सजाता।।
देख-देख मुँह पानी आता।
झटपट खाने को ललचाता।।
✍️ कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल(रायपुर छ.ग.)

सुषमा प्रेम पटेल

🌷”सुषमा के स्नेहिल सृजन”…✍️
छंद-देव घनाक्षरी
🌼🌸🌼🌸🌼🌸🌼🌸🌼🌸
🌟बेला जूही🌟
———————————————-
अलबेली उषा आई, सुनहरी छटा छाई,
हिम कण कंचन से,
चमके प्रथम प्रहर।
बेला जूही मदमस्त, महक बिखेर रही,
बागों में है खिले फूल,
देख ले ठहर-ठहर।
‘सुषमा’ सुहाए आग, शीत जरा दूर भाग,
चहुँओर घूम रही,
गाँव गली और शहर।
सनातनी मार्ग चल, मनुज तू आगे बढ़,
मंदिर अवध अब,
ध्वज है फहर-फहर।
———————————————-
🌼🌸🌼🌸🌼🌸🌼🌸🌼🌸
✍️ कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल(रायपुर छ.ग.)

सुषमा प्रेम पटेल

🌷”सुषमा के स्नेहिल सृजन”…✍️
छंद -मनहरण घनाक्षरी
🙏🛕🪔🙏🛕🪔🙏🛕🪔🙏
राम भक्त हनुमान
————————————————
राम-राम मुख नाम, बसे प्रभु आठों याम,
ऐसे हनुमान जी के,
साथ रघुनाथ हैं।
अलौकिक तेज पुंज,राम-राम की है गूंज,
चरणों में राम जी के,
झुके सदा माथ हैं।
‘सुषमा’ सुभग काम, शुरू करो लेके नाम,
नेक राह चलो प्राणी,
जानकी जी साथ हैं।
ईर्ष्या द्वेष तज कर, श्रद्धा भाव हिय भर ,
सत्य मार्ग अपनाना ,
आपके ही हाथ हैं ।
———————————————-
🙏🛕🪔🙏🛕🪔🙏🛕🪔🙏
✍️ कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल(रायपुर छ.ग.)

🌷”सुषमा के स्नेहिल सृजन”…✍️
छंद-मनहरण घनाक्षरी
🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔
🌷गृह..प्रवेश🌷
आम्रपत्र पुष्प हार, सजाऊँ मैं द्वार-द्वार,
साथ-साथ परिवार,
तोरण लगाऊँगी।
आँगन आनंद भरे, पारिजात फूल झरे,
धरा को प्रणाम कर,
रंगोली बनाऊँगी।
पंक्तियों की शोभा ऐसे, नभ के सितारे जैसे,
‘सुषमा’ सुंदर दृश्य,
दीपक जलाऊँगी।
शंखनाद वेद मंत्र, पूजन प्रयुक्त तंत्र,
मंगल कलश रख,
पूजन कराऊँगी।
✍️ कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल(रायपुर छ.ग.)
🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔

सुषमा प्रेम पटेल

🌷”सुषमा के स्नेहिल सृजन”…✍️
🙏 प्रेम.. प्रीत 🙏
- सुषमा सुमन खिले,
जग महकाने को….
🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
छंद-मनहरण घनाक्षरी
राग की लहर चले, मलय समीर संग,
मन की वीणा भी बजे,
मधु गीत गाने को।
प्रकृति का कण-कण, झूमे नाचे प्रतिक्षण,
‘सुषमा’ सुमन खिले,
जग महकाने को।
भंवरों की गुनगुन, कलियों से प्रीत चुन,
झरनों के सुर मिलें,
मन हरसाने को।
स्नेह सुधा रस धार, प्रेम बना है आधार,
संगीत भी धुन छेड़े,
हृदय मिलाने को।
🙏🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
✍️ कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल(रायपुर छ.ग.)

सुषमा प्रेम पटेल

🌷”सुषमा के स्नेहिल सृजन”…✍️
छंद-रास
🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹
श्याम सलोना ……
~~~~~
द्वार सजाओ, दीप जलाओ, आंगन में।
गीत सुनाओ, मिलजुल गाओ, जीवन में।।
खुशी मनाओ, नाचो गाओ, रंग रसिया।
श्याम सलोना, नटखट ग्वाला, मन बसिया।।(१)
हिलमिल खेलो, रंग उड़ेलो, दामन में।
वंशी बाजे, राधा नाचे, मधुवन में।।
करता चोरी, सीना जोरी, गलियन में।
रास रचाए, चित्त चुराए, कुंजन में।।(२)
माधव मोहन, करती वंदन, चरणन में।
हे गिरधारी, रास बिहारी, निधिवन में।।
’सुषमा’ हँसती, बातें करती, नैनन में।
है अलबेली, नुपुर बजाती, कानन में।(३)~~~~
✍️ कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल(रायपुर छ.ग.)

सुषमा प्रेम पटेल

🌷”सुषमा के स्नेहिल सृजन”…✍️
माँ विमला….
🌷🪔🌷🪔🌷🪔🌷🪔🌷🪔🌷~~~~~
वर दे माँ लक्ष्मी हमें, नेक करें हम काम।
शुभाशीष दें आप ये, खुशियाँ मिले तमाम।।
कृपा सभी पर कीजिए, जग के तारणहार।
माँ विमला वरदायिनी, नमन करें स्वीकार।।
मंगल पावन आचरण, अंतर्मन उल्लास।।
’सुषमा’ सुमिरन कीजिए, पूजन में विश्वास।।~~~~
✍️ कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल(रायपुर छ.ग.)

सुषमा प्रेम पटेल

🌷”सुषमा के स्नेहिल सृजन”…✍️
बाल साहित्य
🧘♂️🧘🏊♀️🤽♂️🏄♀️⛹️♂️🤸♂️🤾♀️🧘♀️
ता-ता थैया
🥬🥕🥬🥕🥬🥕🥬🥕—————————————
आओ गोलू-मोलू भैया।
नाच दिखाओ ता-ता थैया।।
मार गुलाटी बंदर जैसे।
बंदर उछले उछलो वैसे।।
🍅🐒🍅🐒🍅🐒🍅🐒
प्रतिदिन खाना लाल टमाटर।
खूब चबाना कुटुर काटर।।
किटकिट करता बंदर जैसे।
दाँत बजाओ तुम भी वैसे।।
🥬🥕🥬🥕🥬🥕🥬🥕
गाजर मूली खाते जाओ।
हर सब्ज़ी को पसंद बनाओ।।
दाल रोटी हो सबसे प्यारा।
’सुषमा’ सेहत बने सहारा।।
🥦🫑🍆🧅🥒🥔🫑🫛
चना चबेना प्रेम से खाओ।
नाच-नाच कर मन बहलाओ।।
काम समय पर करते जाना।
पढ़-लिख कर तुम नाम कमाना।।
✍️ कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल(रायपुर छ.ग.)
⚽️🎾🏐🏓🏸🏀🏏🛼⛷️

सुषमा प्रेम पटेल

🌷”सुषमा के स्नेहिल सृजन”…✍️
छंद-मनहरण घनाक्षरी
धरा पर जल धारा..
जीवन सहारा…….
आँगन में बूँद प्यारी, लगती है बड़ी न्यारी, छम-छम छम नाचे, बड़ा मन भाती है।
विचित्र-विचित्र लीला, प्रकृति है दिखलाती, ऋतु बिन बरसात, कलियाँ खिलाती है।
अनजानी राहों पर, प्रियतम साथ हो तो, ‘सुषमा’ सजाए स्वप्न, नवगीत गाती है।
धरा पर जल धारा, जीवन सहारा बन, मन के झंकृत तार, छेड़-छेड़ जाती है।
✍️ कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल(रायपुर छ.ग.)

सुषमा प्रेम पटेल

🌷”सुषमा के स्नेहिल सृजन”…✍️
भूमिपुत्र और शीत
आग जलाकर मेड़ पर, ऊर्जा लें संचार। शीतलहर से जूझते, भूमिपुत्र बनिहार ।।
हाड़ मांस का देह यह, काँपें सारी रात। भूमिपुत्र की विवशता, देखें कौन बिसात ।।
शीतल बहे बयार जब, गरम वस्त्र दें दान। दीन-दुखी के तन ढंकें, ‘सुषमा’ सोच महान ।।
फसल उगाकर खेत में, करते हैं उपकार। कठिन परिश्रम साध कर, हमको दें उपहार ।।
श्रम से सींचें खेत जो, रखना उनका मान। दाम फसल अच्छे मिले, पूरे हों अरमान ।
✍️ कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल(रायपुर छ.ग.)

सुषमा प्रेम पटेल

🌷”सुषमा के स्नेहिल सृजन”…✍️
छंद-अतिशयोक्ति अलंकारित मनहरण घनाक्षरी
नाचे मोर……
सुषमा की घनाक्षरी सुन नाच दिखलाता है..
आता उड़ आँगन में, कानन को छोड़कर, मोरनी को संग लिए, बड़ा इतराता है।
‘सुषमा’ की घनाक्षरी, सुनकर मोर पक्षी, झूम-झूम नाचकर, नाच दिखलाता है।
ताल से मिलाता ताल, मस्त-मस्त चले चाल, आगे-पीछे पाँव रख, पास चला आता है।
मोती जैसे बिखरे हैं, अनाज के दाने ढेर, पैंको-पैंकौं गीत गाता, चुन-चुन खाता है।
✍️ कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल(रायपुर छ.ग.)

सुषमा प्रेम पटेल

🌷”सुषमा के स्नेहिल सृजन”…✍️
माखन चोर..
प्रेम भाव ही बने सहारा.
सब ग्वालों से प्रीत तुम्हारा.
…………………………………………………
छुपे कहाँ हो कृष्ण कन्हैया। ढूँढ रही है कब से मैया ।। क्या तुमने की माखन चोरी। और करो अब सीना जोरी? ।।
दाऊ भैया संग-संग रहते। सारा दिन चुग़ली हैं करते।। क्या तुमने ही छुपकर खाया?। मातु यशोदा बहुत सताया।। (१)
वंशी धुन में धेनु चराते। मधुर-मधुर हैं राग सुनाते ।। प्रेम भाव ही बने सहारा। सब ग्वालों से प्रीत तुम्हारा।।
“सुषमा” यह संयोग निराला। उड़ता मन होवे मतवाला ।। प्रेम डोर जब खींचे डोरी। दौड़ी आती राधा छोरी।। (२)
✍️ कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल(रायपुर छ.ग.)

सुषमा प्रेम पटेल

🌷”सुषमा के स्नेहिल सृजन”…✍️
छंद – मनहरण घनाक्षरी
रचना. छत्तीसगढ़ी
मया के गोठ
……..…………………………………………..
बोल के तपतकुरु
राम.. राम गाथे जी…
पुराईन फूल संगी,
बरछा के तीरे-तीर,
नरवा बोहाथे जी।
बैठे सुआ हरियर,
मुनगा के डार संगी,
बोल के तपतकुरु,
राम-राम गाथे जी।
चोंच हावे लाली-लाली,
मिठ्ठू-मिठ्ठू बोले संगी,
मजा ले के मिरचा ल,
कुतर के खाथे जी।
मया के सुध्घर गोठ,
दुनों गोठियाबो संगी,
हाँसी-खुशी हमरो ये,
दिन बीत जाथे जी।
✍️ कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल(रायपुर छ.ग.)

सुषमा प्रेम पटेल
🌷”सुषमा के स्नेहिल सृजन”…✍️
छंद – मनहरण घनाक्षरी
रचना. छत्तीसगढ़ी
मया के गोठ ……
आमा अऊ अमली के,
चटनी बना ले संगी,
बासी संग अड़बड़,
गोंदली मिठाथे जी।
कलेरा कसन करु,
झन गोठियाबे संगी,
गुरतुर मीठ बोली,
मोला तो लुभाथे जी।
नवाँ-नवाँ बहुरिया,
खनकाथे चुरी संगी,
छुन-छुन पैरीं घलो,
सुघ्घर बजाथे जी।
आँखी म काजर डार,
खोपा गोंदा फूल संगी,
लाली-लाली लुगरा में,
सुषमा’ सुहाथे जी।
✍️ कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल(रायपुर छ.ग.)

सुषमा प्रेम पटेल

🌷”सुषमा के स्नेहिल सृजन”…✍️
शीत ऋतु 1
अलि करते गुंजार हैं,
चहकीं चिड़ियाँ बाग।
शीत ऋतु की ठंड में,
लगे सुहावन आग।।
कुहरा-कुहरा धुंध में,
काँप रहे हर अंग।
फसल पकें हैं खेत में,
श्रम लाया अब रंग।।
‘सुषमा’ सुंदर दृश्य है,
वसुधा में चहुँओर।
देख कली अब खिल गई,
नभ आए रवि भोर ।।
✍️ कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल(रायपुर छ.ग.)

सुषमा प्रेम पटेल

🌷”सुषमा के स्नेहिल सृजन”…✍️
अन्नपूर्णा
कठिन परिश्रम से ,
आते हैं अनाज घर….
अलाव जलाए बैठे, गाँव गली चौराहे में,
शीत ने कहर ढाए,
भोर साँझ दोपहर।
कृषक औजार लिए, सुबह निकल पड़े,
अन्नपूर्णा घर लाने,
काम करें खेतों पर।
सामना चुनौती भरा, किसानों की है ये व्यथा,
चुनते प्रत्येक दाने,
’सुषमा’ सहेज कर।
व्यर्थ न हो नुकसान, होता अन्न अपमान,
कठिन परिश्रम से,
आते हैं अनाज घर।
✍️ कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल(रायपुर छ.ग.)

सुषमा प्रेम पटेल

🌷”सुषमा के स्नेहिल सृजन”…✍️
विधा-गीत छंद-ताटक
(असुरक्षित नारी समाज की व्यथा)
राह कौन सी जाऊँ मैं
अपनी पीड़ा को हे भगवन, कैसे किसे दिखाऊँ मैं।
पग-पग नारी सोच रही है, राह कौन सी जाऊँ मैं।।
मोहल्ले बाजारों में भी, अस्मत लूटी जाती है।
अत्याचारी के हाथों से, गहरी पीड़ा पाती है।।
काम वासना की नजरों से, कैसे कब बच पाऊँ मैं।
पग-पग नारी सोच रही है, राह कौन सी जाऊँ मैं।।
दुखी बहुत ही मन होता है, नारी जब पीसी जाती।
अंतर्मन तब विचलित होकर, बन आँसू धार बहाती।।
कलुष वासना हृदय मिटे नर, शुभ-शुभ आस लगाऊँ मैं।
पग-पग नारी सोच रही है, राह कौन सी जाऊँ मैं।।
क्रूर कल्पना दहला देता, विचलित मन को कर जाता।
कब तक व्यथा सहेगी भारी, प्रश्न हृदय में उठ आता।।
नारी के शुभ दामन से है, कैसे दाग मिटाऊँ मैं।
पग-पग नारी सोच रही है, राह कौन सी जाऊँ मैं।।
अखबारों के पन्ने पढ़कर, टूट रहा धीरज सारा।
अब तो भगवन! राह दिखा दो, ‘सुषमा’ जीवन हो प्यारा।।
आस लिए वह जगती हर दिन, खबर सुखद बतलाऊँ मैं।
पग-पग नारी सोच रही है, राह कौन सी जाऊँ मैं।।
पग-पग नारी सोच रही है, राह कौन सी जाऊँ मैं।।
✍️ कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल(रायपुर छ.ग.)

सुषमा प्रेम पटेल

🌷”सुषमा के स्नेहिल सृजन”…✍️
विधा-गीत आधार छंद-प्रदीप घनाक्षरी
मन मंदिर
मन मंदिर में प्रेम सजाऊँ, ऐसा मेरा प्यार हो।
घर आँगन खुशहाली छाए, खुशियों की बौछार हो।।
स्नेहिल ‘सुषमा’ बनकर प्रीतम, झरता मधुमय धार हो।
सुख-दुख हरदम साथ निभाऊँ, नेह बने आधार हो।।
✍️ कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल(रायपुर छ.ग.)

सुषमा प्रेम पटेल

🌷”सुषमा के स्नेहिल सृजन”…✍️
छंद-अनुप्रास अलंकारित मनहरण घनाक्षरी
अंबुधर……
झर.. झर झरकर
झरना कहाते हैं..
आकार विचित्र लिए, बादलों के झुंड आए, पल-पल बदलती, आकृति दिखाते हैं।
मेघमाला दृश्य बना, अंधेरा छाया है घना, अंबुधर अंबर में, मेघ को सजाते हैं।
“सुषमा” पहाड़ी बीच, कलकल छल-छल, झर-झर झरकर, झरना कहाते हैं।
बरखा का रूप धर, धरा में वारिधि से मिलने को, नदिया बहाते हैं।
✍️ कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल(रायपुर छ.ग.)

सुषमा प्रेम पटेल

🌷”सुषमा के स्नेहिल सृजन”…✍️
छंद-मनहरण घनाक्षरी पूर्वाक्षरी अलंकृत……
शीत की लहर
आई है शिशिर ऋतु, शीत की लहर लिए, तन लगे सूर्य त्रास, बड़ी सुखदायिनी।
आ नंदित उपवन, लहराती डाली-डाली, मोगरा सेवंती गेंदा, ऋतु अनुपायिनी।
आनंद विभोर शोर, कलरव चहुँओर, ‘सुषमा’ सुहाने पल, उषा अंकशायिनी।
आँगन आसन विछा, लिखूँ नित छंद विधा, सृजन दैवीय काव्य, जैसी हो कामायनी ।
✍️ कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल(रायपुर छ.ग.)

सुषमा प्रेम पटेल

🌷”सुषमा के स्नेहिल सृजन”…✍️
जय मां लक्ष्मी……
माँ लक्ष्मी वरदायिनी, सजे अल्पना द्वार।
वर दे माँ कमला हमें, भरे अन्न भंडार ।।
सुख-समृद्धि की हो कृपा, पावन हो संसार।
धन-धान्य घर में भरे, हो सबका उद्धार।।
सुषमा’ जगमग दीप से, पूजन करो विशेष ।
माँ कमला करती कृपा, मंगल शुभ संदेश।।
✍️ कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल(रायपुर छ.ग.)

सुषमा प्रेम पटेल

🌷”सुषमा के स्नेहिल सृजन”…✍️
बाल साहित्य..
नेक राह पर बढ़ते जाना,
जीवन में तुम नाम कामना…
विश्व बाल अधिकार दिवस पर विशेष……
आओ बच्चों वृक्ष लगाएँ।
जिससे शुद्ध हवा हम पाएँ।।
पक्षी गाते सुंदर गाना।
गाने में तुम साथ निभाना।।
मात-पिता का मान बढ़ाओ।
सेवा से तुम पुण्य कमाओ।।
नेक राह पर बढ़ते जाना।
जीवन में तुम नाम कमाना।।
नैतिकता का पाठ पढ़ाती।
’सुषमा’ सुंदर सीख सिखाती।।
सच्चाई का दीप जलाना।
अंधकार को दूर भगाना।।
करना माँ वसुधा की सेवा।
तभी मिलेगी सच्ची मेवा।।
प्यासों को तुम नीर पिलाना।
भोजन भूखों को खिलाना।।
✍️ कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल(रायपुर छ.ग.)
🌷”सुषमा के स्नेहिल सृजन”…✍️
विधा-गीत
आधार छंद-प्रदीप
😀 बदल रहा इंसान रे😃
अपनों का अब साथ छोड़कर, छीन रहा मुस्कान रे।
धन दौलत के लालच में क्यों, बदल रहा इंसान रे।।
नेक काम जो हरदम करते, ईश्वर उनके पास हैं।
मात-पिता को भेजे आश्रम, करते निज उपहास हैं।।
’सुषमा’ सुंदर भाव रखो तो, मिलता है वरदान रे।
धन दौलत के लालच में क्यों, बदल रहा इंसान रे।।
बात-बात में झगड़ा करता, रहता मद में चूर है।
जिनकी गोदी में खेला था, करता उनको दूर है।।
देता परिजन कष्ट बहुत क्यों, उनको ही संतान रे।
धन दौलत के लालच में क्यों, बदल रहा इंसान रे।।
अंत समय में तड़पा दे जो, पुत्र नहीं वो काम का।
ईश्वर मालिक एक सहारा, नाम रटें प्रभु नाम का।।
वाणी से क्यों तीर चुभाता, तोड़े सब अरमान रे।
धन दौलत के लालच में क्यों, बदल रहा इंसान रे।।
धन दौलत के लालच में क्यों, बदल रहा इंसान रे।।
✍️ सुषमा प्रेम पटेल(रायपुर छ.ग.)

सुषमा प्रेम पटेल

सुषमा प्रेम पटेल
🌷”सुषमा के स्नेहिल सृजन”…✍️
विधा-गीत आधार छंद-प्रदीप
भाग ..2
पाई-पाई जोड़ लगाकर, ‘सुषमा’ जीवन दाँव हैं। फटे बिबाई बतलाते हैं, मात-पिता के पाँव हैं।। गलत काम में पड़कर मानव, खोता निज पहचान रे। धन दौलत के लालच में क्यों, बदल रहा इंसान रे।।
मात-पिता के श्री चरणों में, रहता जीवन सार है। कब समझोगे पगले मानव, शुभाशीष आधार है।। लोभ मोह में पड़ा हुआ है, करता है अभिमान रे। धन दौलत के लालच में क्यों, बदल रहा इंसान रे।।
अंत एक दिन सबका होगा, माया है सब मान ले। जर्जर होकर मिट जाएगा, बात आज से जान ले ।। पछतावा तब काम न आए, देख रहा भगवान रे। धन दौलत के लालच में क्यों, बदल रहा इंसान रे।।
धन दौलत के लालच में क्यों, बदल रहा इंसान रे।।
✍️ सुषमा प्रेम पटेल(रायपुर छ.ग.)

सुषमा प्रेम पटेल

🌷”सुषमा के स्नेहिल सृजन”…✍️
छंद-मनहरण घनाक्षरी
कान्हा प्यारे
बांसुरी सुनाए धुन
दौड़ी आती राधा सुन..
कन्हैया पुकारे राधा,
मिलन में नहीं बाधा,
चंचल नशीले बड़े,
प्यार भरे नैन ये।
कान्हा नाम जपती है,
आठों याम रटती है,
सुध-बुध खोई राधा,
मीठे-मीठे रैन ये।
बिना कहे कह जाते,
राज नहीं छिपा पाते,
‘सुषमा’ सुंदर दृग,
मधुर से बैन ये।
बाँसुरी सुनाये धुन,
दौड़ी आती राधा सुन,
चितचोर कान्हा प्यारे,
चुरा लेते चैन ये।
✍️ कवयित्री सुषमा प्रेम पटेल(रायपुर छ.ग.)
🌷”सुषमा के स्नेहिल सृजन”…✍️
छंद-दोहा
ज्योति पर्व
कार्तिक की है पूर्णिमा, आज नहाओ घाट।दीपदान का पर्व है, निश्छल खुशियाँ बाँट।।
पावन भावन पूर्णिमा, आओ गंगा घाट।
गंगा जी के घाट पर, मेला लगा विराट।।
झिलमिल ‘सुषमा’ दृश्य में, दीपों का उत्साह।
जगमग जलते दीप जब, आलोकित हर राह।।
संयम व्रत शुभ साधना, सबका है आह्वान।
चौरा दीप सजाइए, सनातनी पहचान।।
स्नेह भक्ति अरु प्रेम से, दीपक जलें हजार।
ज्योति पर्व शुभ मास में, जगमग है संसार।।
जल में तैरे दीप जब, धवल शुभ्र तब धार।
’सुषमा’-सा अनुभव करे, मन पुलकित हर बार।।
✍️ सुषमा प्रेम पटेल(रायपुर छ.ग.)

सुषमा प्रेम पटेल

सुषमा प्रेम पटेल
🌷”सुषमा के स्नेहिल सृजन”…✍️
मार्गशीर्ष प्रतिपदा
अगहन की तिथि प्रतिपदा,
कृष्ण पक्ष शुभ मास।
माँ लक्ष्मी वरदायिनी,
दूर करो सब त्रास।।
सुख-समृद्धि की हो कृपा,
पावन हो संसार।
धन वैभव सुख संपदा,
हो सबका उद्धार।।
’सुषमा’ जगमग दीप से,
पूजन करो विशेष।
माँ कमला करती कृपा,
मंगल शुभ संदेश।।
✍️ सुषमा प्रेम पटेल(रायपुर छ.ग.)