DCG NEWS :- भारतीय भाषा दिवस के उपलक्ष्य में भारतीय भाषा उत्सव का आयोजन पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय प्रेक्षागृह में किया गया। इस अवसर पर भारतीय भाषा और राष्ट्रीय एकता विषय पर मुख्य वक्ता डॉ. पूर्णेंदु सक्सेना ने कहा कि भाषा आदमी को आदमी से जोड़ने के लिए होती है, वह गोंद की तरह है लेकिन आज कुछ ताकतें भाषा के माध्यम से समाज को तोड़ने का काम कर रही हैं। हमारी भाषा का महत्व उसके व्याकरण नियमों में नहीं है, उनसे व्यक्त होने वाले भाव हैं।

DCG NEWS :- इस अवसर पर मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह और अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सच्चिदानंद शुक्ल भी मंच पर उपस्थित थे। विभिन्न भाषाओं के साहित्यकारों को सम्मानित भी किया गया।
DCG NEWS :- मुख्य वक्ता ने आगे कहा कि इसको जब कठोरता में बांधने का प्रयास करते हैं, इसका वर्गीकरण कर दिया गया है। तमिल भाषा के कवियों का संगम हुआ उसमें पहले संगम के अध्यक्ष ऋषि अगस्त्य थे। अगस्त्य का केंद्र मध्य भारत था, उन्होंने दक्षिण में जाकर तमिल कवियों के संगम की अध्यक्षता की। इसका अर्थ उत्तर और दक्षिण क्षेत्र में भाषा का कोई भेद नहीं था।

DCG NEWS :- उन्होंने आगे कहा कि प्राचीन काल में भारत से कई खेप में लोग अलग अलग क्षेत्र में गए, वहां स्थानीय स्तर पर संपर्क भाषा बनती गई। लेकिन यूरोप के लोग जब अलग अलग क्षेत्रों में गए तो उन्होंने अपनी भाषा को वहां पर थोपने का प्रयास किया। भारत में विदेशियों ने भाषा का वर्गीकरण कर उन्हें विदेशी बता दिया, क्या भारत में रहने वालों की आपस में कोई भाषा या बोली नहीं थी? इस प्रकार भारत की भाषा के माध्यम से क्षेत्रों में विभाजन करने का प्रयास किया। तमिल भाषा को उत्तर से अलग करने का प्रयास किया जाता है, लेकिन यह सत्य नहीं है।
DCG NEWS :- भारत में संस्कृत भाषा सभी भाषाओं की मूल है, उनसे अलग अलग भाषा बनती गई। आज चाहे गोंडी बोली हो या तमिल उनमें संस्कृत के धातु शब्द मिलते हैं। वैदिक ज्ञान का जब बंगाल और तमिलनाडु में अध्ययन किया गया तो दोनों ही स्थान में वैदिक ज्ञान एक ही निकला। इसका मतलब है कि संस्कृत में व्यक्त ज्ञान को संरक्षित रखने का सबसे वैज्ञानिक माध्यम है। भाषा ज्ञान और परंपरा को संरक्षित का माध्यम भी है।

DCG NEWS :- मुख्य अतिथि डॉ. रमन सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा, भारतीय भाषा दिवस मनाने का निर्णय केंद्र सरकार ने लिया है, वह कई मायनों में महत्वपूर्ण है। आजादी के आंदोलन में भाषा कोई बाधा नहीं बनी, पूरा देश एक उद्देश्य को लेकर अंग्रेजों के खिलाफ लड़ा।छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण करने के बाद छत्तीसगढ़ी को राजभाषा बनाने का निर्णय लिया गया। इसके बाद विधानसभा और न्यायपालिका में छत्तीसगढ़ी का प्रयोग किया जा रहा है। प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा दी जा रही है। भारतीय भाषा दिवस के अवसर पर भाषाओं के बीच दूरी को समाप्त कर एकात्म का भाव जगाने का प्रण करना होगा। छत्तीसगढ़ में पूरे देश के अलग अलग भाषा बोलने वाले लोग रहते हैं। प्रदेश में भी गोंडी, हल्बी, भतरी जैसी भाषाएं भी प्रदेश में व्यापक स्तर पर बोली जा रही हैं। सभी भाषाओं को मजबूत करने ही भारत मजबूत बनेगा।
DCG NEWS :- कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए सरस्वती शिक्षण संस्थान के सचिव विवेक सक्सेना ने कहा, भारत की सभी भाषाओं में एकता स्थापित करने के उद्देश्य से तमिल भाषा के महान कवि सुब्रमण्यम भारती के जन्मदिन, 11 दिसंबर के दिन को भारतीय भाषा दिवस मनाने का निर्णय केंद्र सरकार ने लिया है। उन्होंने कहा कि भाषा संस्कृति से जुड़ी है, अगर भाषा पुष्ट होगी तो भारतीय संस्कृति का भी विकास और प्रसार होगा। व्याख्यान के बाद विभिन्न भाषाओं में सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गई।

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